‘सबको एक ना एक दिन कुर्सी खाली करनी पड़ती है’, गहलोत ने पायलट को गद्दार बताया तो मिला जवाब

राष्ट्रीय समाचार

राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर अंरूनी टकराव बहर दिखने लगा है। इस बार शुरुआत की है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने। अशोक गहलोत ने राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को पार्टी तोड़ने वाला गद्दार बताया तो पायलट ने भी गहलोत को जवाब दिया। पायलट ने कहा कि सबको एक ना एक दिन कुर्सी खाली करनी पड़ती है। गहलोत और पायलट की जुबानी जंग ऐसे वक्त में हो रही है जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में प्रवेश करने वाली है।

राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक चल कर भारत जोड़ो का मंत्र दे रहे हैं लेकिन राजस्थान कांग्रेस में बढ़ती खाई को पाट नहीं पा रहे हैं। 6 दिसंबर को राहुल की यात्रा राजस्थान में प्रवेश करने वाली है लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के दो दिग्गजों की आपसी लड़ाई थमती नहीं दिख रही। नया विवाद शुरू हुआ है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान के बाद। इस बार गहलोत ने पायलट के लिए जो कहा वो पायलट को उकसाने के लिए काफी था।

गहलोत ने कहा, ”पायलट के पास 10 विधायक भी नही हैं, वो गद्दार हैं जनता पायलट का साथ नहीं देगी। एक गद्दार कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सकता।” गहलोत ने कहा कि एक ऐसा शख्स जिसने विद्रोह किया जिन्होंने पार्टी को धोखा दिया वो गद्दार है। गहलोत ने ये बयान उस वक्त दिया जब सचिन पायलट मध्य प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर वापस लौट रहे थे। गहलोत के बयानों पर सचिन पायलट ने आपा नहीं खोया बल्की गहलोत को नसीहत दी कि वो सीनियर नेता की तरह व्यवहार करें।

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले गहलोत के हाईकमीशन के साथ समीकरण कुछ और थे। गहलोत इतने चहेते थे कि उनका कांग्रेस अध्यक्ष बनना लगभग तय था लेकिन गहलोत ने राजस्थान की गद्दी पर बने रहने के लिए बगावती तेवर तक दिखा दिए जिसके बाद रातों रात बाज़ी पलट गई। गहलोत की जगह खड़गे का नाम आगे आया और वो जीत भी गए। अब राजस्थान में सचिन पायलट अपनी ताज़पोशी की उम्मीद में बैठे हैं इसीलिए जब गहलोत ने वार किया तो पायलट ने उन्हें हराने वाला नेता करार दिया। उन्होंने कहा, गहलोत ने हराया और मैंने कांग्रेस को जिताया।

बता दें कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच अनबन की जड़ में महत्वाकांक्षा का बीज है। 2018 से ही सचिन सीएम पद के दावेदार हैं, उनके नेतृत्व में पार्टी ने राजस्थान में जीत भी हासिल की लेकिन कुर्सी मिली गहलोत को। उसके बाद ही दोनों के बीच तनातनी शुरू हो गई। पहली अनबन जुलाई 2020 में तब सामने आई जब पायलट खेमे के 18 विधायकों ने बगावत कर दी। जवाबी कार्रवाई में सचिन पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया। 18 दिन सचिन पायलट खेमे के विधायक मानेसर में रहे। 10 अगस्त को सुलह हुई और 14 अगस्त 2020 को गहलोत ने विधानसभा में समर्थन हासिल कर लिया।

ये पहली बगावत थी लेकिन इरादे दोनों के साफ हो गए थे। जिस कुर्सी को सचिन अपनी हक समझते थे गहलोत उसे अपना अधिकार…इसीलिए लड़ाई का दूसरा चैप्टर इसी साल उस वक्त खुला जब अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के फैसले के बाद इसी साल 25 सितंबर को गहलोत कैंप के विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार तो किया ही विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे भी सौंप दिए। नतीजा ये हुआ कि गहलोत राजस्थान के सीएम बने रहे लेकिन उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष की दावेदारी खो दी और सोनिया गांधी से सरेआम माफी मांगी। विवाद फिर शुरू हो गया है और ऐसे मौके पर हुआ है जब राहुल की यात्रा राजस्थान में प्रवेश करने वाली है। अगर एक हफ्ते के अंदर इस विवाद का हल नहीं निकला तो ये विवाद राहुल की यात्रा पर ग्रहण लगा सकता है।


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